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How to start your own e-commerce business in hindi | भारत में अपना खुद का ई-कॉमर्स व्यवसाय कैसे शुरू करें

इस टेक्नोलॉजी भरी दुनिया  में ई-कॉमर्स का बिजनेस बहुत तेजी से फल फूल रहा है, लोग ऑनलाइन खरीदारी करना ज्यादा पसंद कर रहे है। आप लोगों ने भी कभी न कभी ऑनलाइन सामान खरीदा ही होगा या ऑनलाइन मनी ट्रांसफर किया ही होगा, यदि आप लोगों ने ऐसा किया है तो यह सब ई-कॉमर्स का हिस्सा है और यदि आप नहीं जानते कि ई-कॉमर्स बिज़नेस क्या है और ई-कॉमर्स बिज़नेस कैसे शुरू करें तो इस आर्टिकल में हम आपको पूरी जानकारी देने वाले हैं इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें। 

How to start your own e-commerce business in hindi

भारत में ई-कमर्स बिजनेस बहुत तेजी से बढ़ने का कारण पिछले कुछ वर्षों से भारत में इंटरनेट यूजर्स और स्मार्टफोन की संख्या में वृद्धि है। आज के समय में लगभग इंटरनेट यूजर की संख्या 900 मिलियन है और यह 2026 तक करीब एक बिलियन तक पहुंचाने की उम्मीद है। इस आंकड़े से आप अनुमान लगा सकते हैं कि भारत में ई-कमर्स बिजनेस की कितनी संभावनाएं हैं जितना अधिक इंटरनेट यूजर्स और मोबाइल फोन की संख्या में वृद्धि होगी उतना ही ई-कमर्स बिजनेस के कस्टमर के रूप में बढ़ेंगे। 

2022 में ई-कॉमर्स बिज़नेस का बाजार 21% वृद्धि के साथ लगभग 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार था और जानकारों का मानना है कि यह 2030 तक 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक होगा। इसलिए ई-कॉमर्स बिज़नेस भविष्य में और भी बढ़ाने की उम्मीद है। 

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे blog खोजी इंजन में आज हम बात करेंगे की e-commerce business क्या होता है, यह कैसे काम करता है, इसे कैसे शुरू कर सकते हैं और इसे  शुरू करने के लिए किन चीजों की आवश्यकता होती है, तो चलिए बिना देरी किए सबसे पहले यह जानते हैं कि e-commerce business क्या होता है। 

e-commerce business क्या होता है ?

इंटरनेट के द्वारा चलाए जाने वाले बिजनेस को  ई-कॉमर्स बिज़नेस e-commerce business कहा जाता है e-commerce business का पूरा नाम या ई-कॉमर्स का फुल फॉर्म इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स होता है। आसान शब्दों में इसे यह भी कहा जा सकता है की इंटरनेट के जरिये मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर से चलने वाले बिजनेस को  e-commerce business कहा जाता है। 

उदाहरण के लिए जैसे ऑनलाइन पेमेंट करना, ऑनलाइन सामान खरीदना, ऑनलाइन पढ़ाई करनी, या आपको ऑनलाइन टिकट बुक करना हो यह सब ई-कॉमर्स का ही पार्ट है। भारत में अगर आपको सामान ऑनलाइन खरीदना है या बेचना है तो इसके लिए भारत के लोकप्रिय कंपनी फ्लिपकार्ट, पेटीएम मॉल और अमेजन इत्यादि हैं। यदि आपको ऑनलाइन पेमेंट करना हो तो इसके लिए पेटीएम, फोन पे, गूगल पे, भारत पे  इत्यादि हैं। और आपको अगर स्टडी करना है तो इससे संबंधित ई-कॉमर्स कंपनी अनअकैडमी, बायजूस, फिजिक्स वाला इत्यादि यह सब ई-कॉमर्स का ही हिस्सा है। 

e-commerce business कैसे काम करता है ?

e-commerce business के लिए आपको एक वेबसाइट या मोबाइल ऍप की जरुरत होती जिसके द्वारा आप अपने प्रोडक्ट या सर्विसेज को बेचने के लिए  एक कैटालॉग की तरह  यूज़ करते है। कस्टमर को आप का  प्रोडक्ट और सर्विस पशन्द आती तो वहा  से आपको आर्डर मिलता और आप प्रोडक्ट या सर्विस को डिलीवर कराते है और उसके बदले अपना प्रॉफिट कमाते है। 

हाउ तो स्टार्ट ई-कॉमर्स बिज़नेस: इसे स्टेप बाई स्टेप में जानते है।  

बिजनेस मॉडल और प्लान  

ई कॉमर्स बिज़नेस करने के लिए आपको एक अच्छे बिजनेस मॉडल की आवश्यकता पढ़ती है। आज के समय में कई तरह के बिजनेस मॉडल मौजूद हैं, इनमें से कुछ इस प्रकार हैं जैसे  B2B ,B2C,C2C इत्यादि। 

  1. B2B बिजनेस मॉडल उस तरह के बिजनेस को कहते हैं जो एक बिजनेस से दूसरे बिजनेस के द्वारा किया जाता है। 
  2. B2C बिजनेस मॉडल उस तरह के बिजनेस को कहते हैं जो बिजनेस और कस्टमर के बीच किया जाता है। 
  3. C2C बिजनेस मॉडल उस तरह के बिजनेस होते है जो कस्टमर और कस्टमर के बीच में किया गया बिजनेस है। 

ई-कमर्स बिजनेस के लिए वेबसाइट

 ई कॉमर्स बिज़नेस के लिए दो तरह के  वेबसाइट का यूज़ किया जाता है एक है मल्टिवेन्डर मार्केटप्लेस वेबसाइट और दूसरा सिंगल वेंडर मार्केटप्लेस वेबसाइट। 

मल्टी वेंडर मार्केटप्लेस वेबसाइट 

इस तरह के वेबसाइट पर बहुत सरे सेलर होते है जो अनेको कस्टमर को अपना प्रोडक्ट सेल करते है। मल्टिवेन्डर मार्केटप्लेस पर कस्टमर को बहुत सारे सेलर के साथ प्रोडक्ट खरीदने का ऑप्शन रहता है। इस बिज़नेस को आप दो तरह से कर सकते है। 

आप अपनी खुद की मल्टी वेंडर वेबसाइट बना सकते है। इसमें सेलर मल्टी वेंडर वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करते हैं और वेबसाइट की मार्केटिंग करते है जिससे सेलर का प्रोडक्ट सेल होता है तो सेलर सेआप अपना कमीशन लेते है या अपने बिज़नेस मॉडल के नियम अनुसार कमाई करते है। इसमें ज्यादा इन्वेस्टमेंट और तकनीक जानकारी जरुरत होती है।

दूसरा पहले से मौजूद मार्केटप्लेस flipkart, amazon, paytm mall पर सेलर के रूप में रजिस्ट्रेशन करके अपना प्रोडक्ट सेल कर अपना बिज़नेस शुरू कर सकते है। इसके लिए आप को ज्यादा इन्वेस्टमेंट की जरुरत भी नहीं होती है। REGISTRATION करने  लिए केवल आप को GST NUMBER  और CURRENT BANK ACCOUNT की आवश्यक्ता होती है। 

सिंगल वेंडर मार्केटप्लेस वेबसाइट 

इस तरह की वेबसाइट में केवल एक सेलर होता है जो बहुत सारे कस्टमर को अपना प्रोडक्ट सेल करता है इसमें आप एक vendor रख सकते जो आप को प्रोडक्ट प्रोवाइड कराएगा या प्रोडक्ट खुद भी रख सकते है। इसमें भी आपको ज्यादा इन्वेस्टमेंट और तकनीकी जानकारी की आवश्यक्ता होती है। 

# यदि आप सिंगल वेंडर मार्केट प्लेस या मल्टी वेंडर मार्केट प्लेस के वेबसाइट के द्वारा अपना ई-कॉमर्स बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए स्टेप को फॉलो करें। 

#1 Business name 

मल्टी वेंडर या सिंगल वेंडर मार्केटप्लेस बिज़नेस  के लिए बिज़नेस का नाम बहुत ही महत्वपूर्ण होता है आप अपने बिज़नेस को एक ब्रांड बनाते है जिससे आप के बिज़नेस के नाम को देखने या सुनने से ही पता चल जाता है की आप क्या सेल करके है। इसलिए Business name को छोटा, यूनिक और जो आसानी से याद हो जाय इस तरह का रखना चाहिए। 

#2 Company बनाये

बिज़नेस का नाम रखने के बाद आपको एक कंपनी को रजिस्टर करवाना है। भारत में 5 प्रकार की कम्पनिया रजिस्टर करवा सकते है। नीचे दिए गए पांच प्रकार के कंपनी रजिस्ट्रेशन में से किसी एक को चुन सकते है। ज्यादा जानकारी के लिए आप अपने CA से जानकारी ले सकते है। ये एक महवपूर्ण स्टेप है इसलिए इसको पूरी जानकारी लेने के बाद ही चुने।

  1. Partnership Firm
  2. One Person Company
  3. Sole Proprietorship
  4. LLP-Limited Liability Company
  5. Private Limited

#3 अपना ई कॉमर्स बिजनेस रजिस्टर करें

भारत में अपना ई-कॉमर्स व्यवसाय शुरू करने के लिए आपको उसका रजिस्ट्रेशन करवाना और सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी करना बहुत जरुरी होता है। 

  1. इसके लिए सबसे पहले आपको Director Identification Number (DIN) के लिए आवेदन करना होता है, जिसे आप  Ministry of Corporate Affairs की आधिकारिक वेबसाइट से (डीआईएन 3 फॉर्म) को डाउनलोड करके और आवश्यक डॉक्यूमेंट संलग्न करके आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा आप आवश्यक डॉक्यूमेंट अपलोड करके, डीआईएन के लिए ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए आपके पास अपना Permanent Account Number (PAN) और Digital Signature Certificate होना चाहिए ।
  2. एक बार जब आप Director Identification Number (DIN) प्राप्त कर लेते हैं, तो आप अपनी कंपनी के लिए चुने गए नाम की उपलब्धता की जांच के लिए Registrar of Companies (ROC) को आवेदन कर सकते हैं। Ministry of Corporate Affairs की आधिकारिक वेबसाइट पर जा के अपने कंपनी के नाम जांच ऑनलाइन भी किया जा सकता है। जब आप को कंपनी का नाम मिल जाता है। आप कंपनी का रजिस्ट्रेशन कुछ महीनो के अंदर करा सकते है। 
  3. Goods and Services Tax (GST) के लिए आवेदन करे जो पेमेंट गेटवे और प्रोफेसनल टैक्स ले लिए बहुत आवश्यक है।
  4. Provident Fund Organization के साथ कर्मचारियों के Provident Fund (PF) खोलने के लिए आवेदन करें। 

#4 बैंक खाता खोलना

एक बार जब आपकी कंपनी अधिनियम के तहत आधिकारिक रूप से पंजीकृत हो जाती है, तो आपको इसके लिए एक बैंक खाता खोलना होगा। खाता किसी भी बैंक में खोला जा सकता है लेकिन इसे कंपनी के आधिकारिक नाम से खोलना होगा।

यदि आपने अपने online business के लिए proprietorship model चुना है, तो आपको GST रजिस्ट्रेशन  प्राप्त करने की आवश्यकता है, जो आपको अपने online business के नाम पर एक बैंक खाता खोलने की अनुमति देगा।

एक बार जब आपका बैंक खाता ओपन  हो जाता है, तो आप अपनी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर बेचे जाने वाले प्रोडक्ट को लिस्ट कर सकते हैं।  पेमेंट गेटवे से पेमेंट अपने बैंक अकाउंट में प्राप्त कर सकते है।

#5 अपनी ई-कॉमर्स वेबसाइट बनाएं

अपनी वेबसाइट सेट करते समय, आप या तो एक प्री बिल्ट प्लेटफ़ॉर्म चुन सकते हैं या इसे शुरू से ही बना सकते हैं। दोनों के अलग-अलग फायदे हैं, हालांकि स्क्रैच से वेबसाइट बनाना आमतौर पर अधिक पसंदीदा विकल्प होता है।

1. प्री-बिल्ट प्लेटफॉर्म का उपयोग करके 

Wordpress और Wix जैसे प्री-बिल्ट प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने का लाभ यह है कि वे आपको रेडीमेड टेम्प्लेट प्रदान करते हैं - जिस तरह के ऑनलाइन व्यवसाय को आप चलाना चाहते हैं, उसके अनुसार डिज़ाइन किया गया है।

उदाहरण के लिए, यदि आपका ऑनलाइन व्यवसाय फैशन से संबंधित है, तो टेम्पलेट ऐसा होगा जो रंगीन हो, जिसमें बहुत सारी दृश्य सामग्री के लिए उपयुक्त स्थान हो, जिसमें शिपिंग ऑर्डर देने के लिए एक पेज भी शामिल हो।

आपको इस वेबसाइट को शुरू से बनाने में समय और संसाधनों को बर्बाद नहीं करना पड़ेगा, बल्कि आप तैयार किए गए टेम्पलेट के साथ इसे बना सकते हैं  इस तरह के वेबसाइट में आप अपने मन मुताबित चेंज कर सकते है और इसमें कोडिंग की जानकारी की आवश्यकता भी नहीं  है। 

2. स्क्रैच से वेबसाइट बनाना

जब आप शुरू से वेबसाइट बनाने की सोचते है तो आपको कोडिंग के जानकारी की आवश्यक्ता  होती जिससे आप अपने मन में जो भी डिज़ाइन सोचते है तो उसे बना सकते है। 

WooCommerce, Magento, Shopify, Zepo और KartRocket उन लोगों के पसंदीदा विकल्प हैं जो अपने ई-कॉमर्स व्यवसाय के लिए वेबसाइट बनाना चाहते हैं।

#6 पेमेंट गेटवे 

आपको अपने ऑनलाइन व्यवसाय को लाभदायक बनाने के लिए पेमेंट गेटवे स्थापित करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह ई-कॉमर्स वेबसाइट के माध्यम से क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग और कैश कार्ड लेनदेन की प्रक्रिया की अनुमति देगा।

अपने ई-कॉमर्स व्यवसाय के लिए भुगतान गेटवे प्रदान करने के लिए, आपको निम्नलिखित डॉक्यूमेंट जमा करने होंगे

  1. बिज़नेस के नाम पर बैंक खाता
  2. बिज़नेस का पैन कार्ड
  3. इनकारपोरेशन  प्रमाणपत्र
  4. मेमोरंडम ऑफ असोसीएशन
  5. संस्था के articles
  6. आइडेंटिटी प्रूफ 
  7. एड्रेस प्रूफ 
  8. वेबसाइट Terms of Use
  9. वेबसाइट Privacy Policy

एक बार जब आप इन सभी डॉक्यूमेंट को जमा कर देते हैं, तो आपको अपने ऑनलाइन व्यवसाय के लिए एक भुगतान गेटवे प्रदान किया जाएगा, जिसके उपयोग से आप अपने ऑनलाइन भुगतान को चालू कर सकते हैं। कुछ लोकप्रिय पेमेंट गेटवे PayPal, PayU and Razorpay हैं .

#7 लॉजिस्टिक्स

भारत में एक सफल ई-कॉमर्स व्यवसाय चलाने के लिए लॉजिस्टिक अति आवश्यक है। लॉजिस्टिक्स से तात्पर्य कोई ग्राहक यदि सामान ऑर्डर करता है तो उसे डिलीवरी करने की प्रक्रिया को लॉजिस्टिक कहते हैं । यह प्रक्रिया शिपिंग किए गए ऑर्डर को ट्रैक करती है की समान कहां पहुंचा है, बीच रास्ते में सामान कहां है और ग्राहक तक सामान कब पहुंचेगी सारी डिटेल लॉजिस्टिक के अंतर्गत आता है।

इसके लिए आपको अपनी खुद की लॉजिस्टिक कंपनी खोलने आवश्यकता नहीं होती बल्कि मार्किट में बहुत सारी ऐसी कम्पनिया है जो यह सर्विस प्रोवाइड कराती है जिनसे आपको टाईअप करना होता है। 

एक बार जब कोई ग्राहक आपकी वेबसाइट पर अपना ऑर्डर  करता है, तो आपको इन्वेंट्री सॉफ़्टवेयर (जिसका अधिकांश ईकॉमर्स व्यवसाय उपयोग करते हैं) की सहायता से मैसेज प्राप्त होता है। मैसेज प्राप्त होने के बाद आपको ऑर्डर की शिपिंग करनी होती है।

इसके लिए आप किसी थर्ड पार्टी की कंपनी के साथ गठजोड़ कर सकते हैं जो आपूर्ति और वितरण में काम करती है, ताकि जब कोई ग्राहक खरीदारी करे, तो तीसरे पक्ष को भी ऑटोमेटिक रूप से सूचित किया जाए और वे पैकेज को जल्दी से बाहर भेज सकें। यह अधिक संगठित प्रक्रिया है, लेकिन आमतौर पर तब लागू होती है जब आपका ऑनलाइन व्यवसाय थोड़ा बड़ा हो जाता है।  

हालांकि, यदि आपकी कंपनी छोटी है - उदाहरण के लिए, यदि आप अपनी वेबसाइट को अपने घर या एक अलग कार्यालय से चला रहे हैं और वहां इन्वेंट्री स्टोर कर रहे हैं, तो आपको केवल  उत्पाद को पैकेज करना होगा और उसे सीधे खरीदार को भेजना होगा। यह आपकी डिलीवरी प्रक्रिया को किसी तीसरे पक्ष को आउटसोर्स करने की अतिरिक्त लागत को बचाएगा।

#8 अपनी वेबसाइट पर ग्राहकों को कैसे आकर्षित करें

एसईओ मार्केटिंग 

सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (एसईओ) मार्केटिंग रणनीति वर्तमान में दुनिया का  स्मार्ट मार्केटिंग तरीका है और यह भविष्य में भी राज करती रहेगी।

आपके ईकॉमर्स व्यवसाय की सफलता के लिए संभावित ऑनलाइन ग्राहकों का ध्यान आकर्षित करना सर्वोपरि है। यह वह जगह है जहां एसईओ जानकारी होनी चाहिए। एसईओ आपको सर्च इंजन में रैंक करने के लिए मदद करता है। और 44 प्रतिशत ऑनलाइन खरीदार सर्च इंजन के साथ अपनी खरीदारी शुरू करते हैं। 

सही कीवर्ड चुनना

रिपोर्ट्स के मुताबिक एक मिनट में करीब 700,000 गूगल सर्च किए जाते हैं। यदि आप सर्च इंजन में दिखाई देना चाहते हैं तो आपको एक टार्गेटेड कीवर्ड सूची तैयार करनी होगी। अपने ऑनलाइन व्यवसाय को सर्च  इंजन में दिखाने के लिए आपको विभिन्न प्रकार के कीवर्ड का उपयोग करने की आवश्यकता होती है। एक प्रकार के कीवर्ड हैं जो 0-26 वर्णों के बीच होते हैं, जिन्हें आमतौर पर 'हेड टर्म्स' कहा जाता है। और अन्य, वे हैं जो 26-40 वर्णों के बीच हैं, जो आमतौर पर अधिक यूनिक होते हैं।

विज्ञापन

विज्ञापन भी एक अन्य तरीका है जिससे आप ग्राहक की नजरों में आ सकते हैं। आप फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर पेड़ एडवर्टाइज का विकल्प चुन सकते हैं जिसके लिए कुछ पैसों का भुगतान करना पड़ता है ताकि इन प्लेटफॉर्म्स के लिए यूजर्स के दैनिक फीड पर आपके विज्ञापन को दिखाई जा सके। जब आपका विज्ञापन यूजर को दिखाई देता है और जब ये उपयोगकर्ता विज्ञापन पर क्लिक करते हैं तो आपकी वेबसाइट पर रीडायरेक्ट हो जाते हैं, इसके बाद उन्हें अपने एक ग्राहक में बदलना आपका काम है।

रीटार्गेटिंग 

रिटारगेटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें उन लोगों के कंप्यूटर पर एक कुकी सेव की जाती है, जो एक बार आपकी साइट पर आ चुके हैं, लेकिन बिना कुछ खरीदे बाहर निकल गए हैं। एक बार जब कुकी सेव कर दी जाती है और जब ये ऑनलाइन उपयोगकर्ता किसी अन्य वेबसाइट पर सामान खरीदने जाते हैं तो रिटारगेटिंग नेटवर्क से उसी  वस्तु के विज्ञापन दोबारा उन्हें दिखाई जाती है जिससे वह फिर से आपकी वेबसाइट पर आकर वस्तु को खरीद सके। हालांकि रिटारगेटिंग एक महंगा तरीका है, लेकिन यह आमतौर पर सकारात्मक परिणाम लाता है।

संक्षेप में, 

भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय शुरू करना, विशेष रूप से अभी, एक अच्छा आइडिया है यह देखते हुए कि भारत में ऑनलाइन व्यापार का बाजार अभी फल फूल रहा है अभी इसमें पोटेंशियल ज्यादा है। 

आपको अपने ऑनलाइन व्यवसाय को पंजीकृत करने और उसे वैध बनाने कई समस्याओं काका सामना करना पड़ सकता है। जब एक बार इसे आप शुरू कर लेते हैं और अपने बिजनेस की पहचान बना लेते हैं, तो आपको मार्केट में कंपटीशन करना होगा। आप में से बहुत से लोग जैफ बेजॉस बनना चाहते हैं लेकिन आपको जैफ बेजॉस बनने की जरूरत नहीं है आप अपने आइडिया पर काम करते रहिए और धैर्य बनाए रखिए एक दिन आप अपने फील्ड के मास्टर हो जाएंगे। भारत आज के समय में ई-कॉमर्स बिज़नेस के लिए अपार संभावनाएं का कुआं है  इसलिए इस बिजनेस में कूदो और खुद बिजनेस करना सीखो। 

यदि आपको इस आर्टिकल में  ई-कमर्स बिजनेस क्या है, ई-कमर्स बिजनेस कैसे शुरू करें के बारे में सही जानकारी मिली है तो पोस्ट को शेयर और कमेंट जरूर करे इस पोस्ट में कोई गलती है तो उसे भी कमेंट करके बताये। 

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